जांच 3 (b) निम्नलिखित गांठों को लगा सकें व उपयोग का प्रदर्शन कर सकें-रीफनॉट, शीट बैंड, क्लोवहिच, बोलाइन, शीपशैंक, फिशरमैन नॉट, राउण्ड टर्न एण्ड टू हाफ हिचेज गांठे (नॉट्स ) और फांस (हिचेज)।
स्काउट-गाइड कला में गांठों तथा फांसों का महत्वपूर्ण स्थान है। स्काउट-गाइड या अन्य किसी व्यक्ति को, चाहे वह शिविर में हो या शहर में, गांव में हो या जंगल में, गांठ तथा फांस लगाने की आवश्यकता पड़ती रहती है। किसान को खेती के अनेक कामों में, व्यापारियों को सामान भेजने के लिये पैकिंग करने में व डॉक्टर को ऑप्रेशन के टांके लगाने व घाव पर पट्टी बांधने आदि में इन गांठों की आवश्यकता पड़ती है।
स्काउट-गाइड गांठों की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं:-
(1) ये गांठे जल्दी लग जाती हैं व अपने में पूर्ण होती हैं।
(2) इन गांठों को लगाने के बाद आसानी से खोला जा
सकता है।
(3) ये गांठें बिना खोले अपने आप नहीं खुलती।
नोट-गांठें सीखने के लिये स्काउट-गाइड से कम 3 मीटर लम्बी तथा 1 से.मी. मोटी रस्सी होनी चाहिए। इस रस्सी के दोनों सिरे सुरक्षित होने चाहिएं। अच्छा हो यदि दोनों सिरे अलग-अलग रंगों से रंगे हों।
रस्सी के जिस सिरे से गांठ लगाई जाती है, उसे चुस्त सिरा (Running End) कहते हैं तथा दूसरा सिरा, जो काम नहीं करता है, सुस्त सिरा (Standing End) कहलाता है।
1. गांठ (Knot)- रस्सी के सिरे को रस्सी से बांधने को गांठ लगाना(नॉटिंग) कहते हैं।
2. फांस (Hitch)- जब रस्सी का एक सिरा किसी वस्तु के साथ बांधा जाता है तो उसे फांस या हिच कहते हैं। यह तनाव रहने तक बंधी रहती है।
3. सांठ (Splice)- रस्सियों के सिरों को सुरक्षित करने के लिये सांठ का प्रयोग किया जाता है।
4. बन्धन (Lashing)- दो बांसों या बल्लियों को आपस में बांधने के लिये बन्धन का प्रयोग किया जाता है।