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तारा मण्डलों द्वारा उत्तर दिशा ज्ञात करना-

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जांच 4 ( b )  रात्रि में कम से कम दो तारामण्डलों की सहायता से उत्तर दिशा जान सकें ।  तारा मण्डलों द्वारा उत्तर दिशा ज्ञात करना   रात्रि के समय आसमान के साफ रहने पर दिशाओं का ज्ञान तारों द्वारा भी सरलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है । ध्रुव तारा सदैव उत्तर दिशा में रहता है । अनेक तारा मण्डलों की सहायता से इसे पहचाना जा सकता है । इस प्रकार उत्तर दिशा का ज्ञान हो जाने पर हम अन्य दिशाओं को जान सकते हैं । इन तारा मण्डलों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है :  1.सप्तर्षि मण्डल ( Great Bear )  इस मण्डल में सात तारे होते हैं । प्रथम चार तारे एक आयत बनाते हैं और शेष तीन तारे एक कोण बनाते हैं । इनमें संख्या 1 तथा 2 की सीध में ध्रुव तारा दिखायी देता है । ध्रुव तारा सदैव उत्तर दिशा में रहता है ।  सप्तर्षि तारामंडल पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमीस्फ़ेयर) के आकाश में रात्रि में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसे फाल्गुन-चैत महीने से श्रावण-भाद्र महीने तक आकाश में सात तारों के समूह के रूप में देखा जा सकता है। इसमें चार तारे चौकोर तथा तीन तिरछी रेखा में रहते हैं। इन तारों को काल्पनिक रेखाओं से मिलाने पर एक

जांच -4 कम्पास व मानचित्र

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जांच -4 कम्पास व मानचित्र   ( a ) कम्पास के 16 बिन्दुओं को जाने ।  कम्पास ( दिशा सूचक यंत्र )  साधारणत : दिशाएं चार मानी जाती हैं- पूर्व , पश्चिम , उत्तर तथा दक्षिण । परंतु किसी स्थान की ठीक - ठीक स्थिति समझने के लिये इन दिशाओं को विभाजित कर 16 दिशाओं का अध्ययन , कम्पास द्वारा किया जाता है ।  कम्पास डिब्बीनुमा यंत्र होता है , जिस पर दिशाएं व अंश अंकित होते हैं , बीच में धूरी पर एक तीरनुमा चुम्बकीय सुई होती है ।  कम्पास को सैट करना   किसी कॉपी / किताब पर कम्पास को रखकर कापी को दाएं - बाएं इस प्रकार घुमाते हैं कि कम्पास में लिखा उत्तर ( 0 °  ) व तीर की लाल नोक एक सीध में या ऊपर नीचे आ जाएं । फिर कम्पास में पढ़कर अन्य दिशाएं ज्ञात कर सकते हैं । 

गैस रिसाव में सावधानियां-

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गैस रिसाव में सावधानियां  1.गैस की गंध आते ही गैस बर्नर की नॉब व रेग्यूलेटर को तुरंत बंद कर दें ।  2 . रसोई घर व आसपास की मोमबत्ती या आग तुरंत बुझा दें ।  3 . सभी खिड़की - दरवाजे तुरन्त खोल दें  4. बिजली के स्विचों को न ऑफ करेंऔर न ऑन करें । इससे आग लग सकती है ।   5. गैस लीक होने की सूचना तुरंत अपनी गैस एजेन्सी को दें । गैस एजेन्सी का टेलीफोन नम्बर आपकी गैस पास बुक    में लिखा होगा । 6. गैस सिलेंडर को चूल्हे से हटाकर उस पर ढक्कन लगाकर खुले में रख दें । 7. अपने रसोई घर में अग्नि शमन यंत्र अवश्य लगवायें ।  8. गैस सिलेण्डर में यदि आग लग गई हो तो उसके ऊपर दूर से पानी की धार डालकर उसके तापमान को कम बनाये रखने का प्रयास करें । यह सिलेण्डर 200 डिग्री तापमान होने पर ही फटेगा , पहले नहीं । फायर ब्रिगेड को सूचित करें । 

आग-खुले में आग जलाना, भोजन बनाना

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 जांच नं . 2- आग ( Fire )   ( a )  कैम्प में अथवा बाहर प्रयोग में लाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की आग के बारे में जानें ।  ( b ) खुले में अधिकतम दो तिल्लियों द्वारा लकड़ी की आग जला सके ।  स्काउट / गाइड को खुले में आग जलाने का तरीका आना चाहिए । हाइक व शिविर में खाना व नाश्ता पकाने के लिए आग जलाने की आवश्यकता पड़ती है । मितव्ययता की दृष्टि से स्काउट गाइड खुले में भी एक या दो तिल्लियों से ही आग जलाने का अभ्यास करें ।   इसके लिए पहले हवा के रुख को देखें । तेज हवा चल रही हो तो सामने स्वयं आड़ लेकर बैठे या बाल्टी आदि रख लें । पहले मोटी लकड़ियों में सीधे आग न लगायें । थोड़े सूखे पत्ते , कागज , सूखी टहनी या लकड़ी के छिलके एकत्रित करके उनमें आग लगाएं । आग जल जाने पर पहले पतली व बाद में मोटी लकड़ी लगाएं ।  जांच 3- भोजन बनाना ( Cooking )  ( a )   कैरोसीन प्रेशर स्टोव अथवा गैस स्टोव की कार्य प्रणाली व संभाल जानें ।  ( b )   खुले में दो व्यक्तियों के लिए पर्याप्त दो प्रकार का सामान्य भोजन तथा चाय या कॉफी बना सके ।  ( c )   गैस लीक ( रिसाव ) होने की स्थिति में सुरक्षा उपाय जानते हों ।

अष्ठाकार गांठ ( फिगर ऑफ एट नॉट ) :

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4.अष्ठाकार गांठ ( फिगर ऑफ एट नॉट ) :   उपयोग : यह गांठ सादी गांठ के स्थान पर लगाई जाती है । इसका उपयोग रस्सी के सिरे को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है । इससे रस्सी का सिरा मोटा नहीं होता तथा न ही इस गांठ के कारण काम में कोई बाधा आती है ।  विधिः इसमें रस्सी के एक सिरे का नीचे की तरफ लूप बनाकर , सिरे को उसी रस्सी के पीछे से लाकर , ऊपर से लूप   रस्सी का सिरा सुरक्षित रहता है और उसकी लड़ें नहीं खुलती ।  जांच . ( b ) 1 वर्गाकार बन्धन ( Square Lashing )  उपयोग : पुल अथवा मकान बनाते समय मजदूरों के लिए पाड़ या मचान तैयार करने में इस बन्धन का प्रयोग किया जाता है । इसके द्वारा दो लट्ठों या बल्लियों को समकोण पर बांधा जाता है  विधि : जिस लट्टे पर दूसरे लट्ठे का वजन पड़ रहा हो , उस लट्टे पर खूटा फाँस लगाएँ और फिर इस पर दूसरा लट्ठा धन ( + ) की स्थिति में रखें । अब रस्सी को एक ही दिशा में चार बार लट्टे पर कस कर फ्रेपिंग कर दें । इसका अंत भी खूटा फांस से होगा । बन्धन तैयार हो गया ।  1. ( b ) 2 अष्टाकार बन्धन ( Figure of Eight Lash ing )  उपयोग : इसका उपयोग दो या तीन समानांतर रूप में रखी बल्लिय

जांच (1)- पायनियरिंग

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द्वितीयसोपान जांच (1)- पायनियरिंग (a)  1. टिम्बर हिच (लट्ठा फांस) उपयोग : बहुत सी लकड़ियों को बांधकर ले जाने तथा पुल आदि बनाने में इस फांस का प्रयोग किया जाता है विधि : रस्सी के सिरे को लकड़ियों के चारों ओर  घुमाकर लम्बी रस्सी का घेरा लगाते  हुए उसी सिरे वाली रस्सी पर वापस  कई लपेट लगाने से यह फांस तैयार  हो जाती है। यदि गट्ठर को खींचना  हो तो चित्र (ख) के अनुसार क्लिक हिच का प्रयोग करें। (क)                                                       (ख)  क्लिक हिच: 2. रोलिंग हिच (सरकफांस):   उपयोग - यदि  एक रस्सी पर खिंचाव है तो उस खिंचाव को कम करने के  लिये दूसरी रस्सी से बीच में रोलिंग  हिच लगाकर पहली रस्सी के खिंचाव को कम किया जा सकता है। बोरे का मुंह बांधने के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है। किसी प्रोजेक्ट पर बंधी किसी ढीली रस्सी में तनाव देने रस्सी के कमजोर भाग को मजबूती देने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है ।  विधि - खिंचाव वाली रस्सी पर दूसरी रस्सी से खूटा फांस लगाते हैं । खंटा फांस की एक अर्ध फांस लगाकर एक चक्कर और दे दें व दूसरी अर्ध फांस लगा दें ।  3. मार्लिन स्पाइक या लीवर

जांच -6 -बाहरी गतिविधियां, वन विद्या (खोज के चिह्न)

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जांच -6 -बाहरी गतिविधियां  ( a )  खोज के चिह्नों को जानता हो और पैट्रोल के साथ उनका कम से कम आधा किलोमीटर तक अनुसरण कर सके ।  वन विद्या (खोज के चिह्न) वनविद्या ( खोज के चिह्न ) इन खोज के चिह्नों का उपयोग स्काउट - गाइड द्वारा हाइक के समय किया जाता है । एडवांस पार्टी द्वारा सड़क के दायीं ओर 50-50 कदम की दूरी पर ये चिह्न लगाये जाते हैं । सभी स्काउट - गाइड इनके द्वारा मार्ग खोजते हुए आगे बढ़ते हैं । कुछ मुख्य चिह्न - ------------------------------------------------------------------------------ 1. यह मार्ग है , रास्ता साफ है , तीर की दिशा में जाइए ।  2. रास्ता बन्द है , इधर से मत जाइए ।  3. तीर के निशान की ओर चार कदम पर पत्र छिपा है ( यदि दूरी तीन कदम से अधिक हो तो वह लिख देनी चाहिए ) । 4 .यहां ठहरो ।   5 . मैं घर चला गया हूं ( अपने पेट्रोल का नाम और अपने नाम के हस्ताक्षर कर देने चाहिए और पेट्रोल का चिह्न बना देना चाहिए ) ।  6 .  नदी को यहां से पार कीजिए ।  7 . इधर तीर की ओर कैम्प है ।  8 . पीने का साफ पानी है ।   9 . पानी गंदा है , पीने योग्य नहीं ।   10. कुशल मंगल है ।  11. अकुशल है ।  1

जांच-4 सेवा, जांच -5 संचार

जांच-4 सेवा 4.(a) अपने स्काउट मास्टर/गाइड कैप्टन के निर्देशन में अपने स्कूल में अथवा स्काउट हैड क्वॉर्टर पर टुप/कम्पनी सर्विस प्रोजेक्ट शुरू करें। 4.(b) साधारण कटना, जलना, नकसीर की स्थिति को संभाल सके। कटना- किसी धारदार या नोकदार वस्तु से शरीर की चमड़ी या मांस के कट जाने को कटना कहते हैं। इससे कटे हुए स्थान पर तेजी से रक्त निकलने लगता है। उपचार-कटे हुए स्थान को लाल दवा के घोल या डिटॉल से साफ करें। घाव पर कीटाणुनाशक दवा/मल्हम लगाकर पट्टी बांधे। जलनाः सीधे आग की लौ या तेज गर्म धातु के शरीर पर लग जाने को जलना कहते हैं। उपचारः बहुत अधिक जलने का उपचार तो डॉक्टर ही कर पायेंगे।सामान्य जलने या झुलसने पर तुरन्त ठण्डे पानी में उस अंग को तब तक डूबायें जब तक जलन कम न हो जाये। यदि घाव हो जाये तो अण्डे की सफेदी/बरनोल/नारियल का तेल या रसौत को नारियल तेल में मिलाकर घाव पर लगाया जा सकता है । घाव को पट्टी से ढक कर रखें। नकसीर-मरीज को खुली हवा में सिर ऊपर करके बैठा दें। छाती व गर्दन के कपड़ों को ढीला कर दें । मरीज को मुंह खुला रखने को कहें । नाक पर कपड़े की ठण्डी पट्टी रखें । नाक में रूई लगा दें। 4.(c)

जांच-3 सादा या समानान्तर बन्धन

जांच-3 (c) शियर लैसिंग मार्क I और पार्क II लगा सके व प्रदर्शन कर सके। सादा या समानान्तर बन्धन (Sheer Lashing) उपयोग :  इस बंधन का प्रयोग दो लाठियों के एक सिरे को जोड़कर दूसरे सिरे को फैलाने अथवा दो लाठियों का या बल्लियों को जोड़ कर बड़ा करने के लिए किया जाता है।  शियर लैसिंग मार्क-1 - इस लैसिंग का प्रयोग क्लोथ लाइन बनाने या इम्प्रुवाइजड टैन्ट बनाते समय दो लाठियों के सिरे थोड़े फैलाने हों तब इसका प्रयोग किया जाता है। विधि-   एक लाठी के सिरे पर खूटा फांस लगाकर दूसरी लाठी को साथ मिलाकर रस्सी के चार-पांच चक्कर समानान्तर लगाते हैं। मजबूती के लिए फ्रेपिंग कर देते हैं। अंत में दूसरी लाठी पर खूटा फांस लगा देते हैं। मार्क-2- इसे राउण्ड लैसिंग या पैरलल लैसिंग के नाम से भी जानते हैं। इसका प्रयोग लाठी की लम्बाई बढ़ाने या झण्डे का पोल बनाने के लिए किया जाता है। विधि- इसमें दोनों लाठियों पर एक साथ खूटा फांस लगाई जाती है और फिर आवश्यकतानुसार रस्सी के चार या पांच लपेट लगाये जाते हैं और अंत में दोनों लाठियों पर खूटा फांस लगा देते हैं। अधिक मजबूती के लिए थोड़े फासले पर इसी प्रकार का एक बंधन और लगा सकते

Educational Game

गांठें (KNOTS)-

गांठें (KNOTS)-

जांच(3)- (b)गांठें (नॉट्स) और फांस (हिचेज)

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जांच 3 (b) निम्नलिखित गांठों को लगा सकें व उपयोग का प्रदर्शन कर सकें-रीफनॉट, शीट बैंड, क्लोवहिच, बोलाइन, शीपशैंक, फिशरमैन नॉट, राउण्ड टर्न एण्ड टू हाफ हिचेज गांठे (नॉट्स ) और फांस (हिचेज)।   स्काउट-गाइड कला में गांठों तथा फांसों का महत्वपूर्ण स्थान है। स्काउट-गाइड या अन्य किसी व्यक्ति को, चाहे वह शिविर में हो या शहर में, गांव में हो या जंगल में, गांठ तथा फांस लगाने की आवश्यकता पड़ती रहती है। किसान को खेती के अनेक कामों में, व्यापारियों को सामान भेजने के लिये पैकिंग करने में व डॉक्टर को ऑप्रेशन के टांके लगाने व घाव पर पट्टी बांधने आदि में इन गांठों की आवश्यकता पड़ती है। स्काउट-गाइड गांठों की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं:- (1) ये गांठे जल्दी लग जाती हैं व अपने में पूर्ण होती हैं। (2) इन गांठों को लगाने के बाद आसानी से खोला जा सकता है। (3) ये गांठें बिना खोले अपने आप नहीं खुलती। नोट-गांठें सीखने के लिये स्काउट-गाइड से कम 3 मीटर लम्बी तथा 1 से.मी. मोटी रस्सी होनी चाहिए। इस रस्सी के दोनों सिरे सुरक्षित होने चाहिएं। अच्छा हो यदि दोनों सिरे अलग-अलग रंगों से रंगे हों। रस्सी के जिस सिरे से गा

जांच-3 रस्सी कार्य

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जांच-3 रस्सी कार्य- (a) रस्सी के सिरे सुरक्षित कर सके। रस्सी के सिरों को सुरक्षित करना (व्हीपिंग) यदि रस्सी के सिरों को भली प्रकार बांधकर न रखा जाये तो रस्सी धीरे-धीरे उधड़ती जाती है और नष्ट हो जातीहै। स्काउट-गाइड अपनी रस्सी के सिरों को इस प्रकार बांधकर रखते हैं कि उसके सिरों की मोटाई भी नहीं बढ़ती और वह खुलती भी नहीं।  रस्सी के सिरों को बांधकर रखना ही रस्सी के सिरों को सुरक्षित करना या स्थाई करना (व्हीपिंग)कहलाता है। विधिः  इसकी विभिन्न विधियां हैं जिनमें सर्वोत्तम विधि है- साधारण मढ़ाई विधि - सिरों को सुरक्षित करने के लिये लगभग एक हाथ लम्बा एक मोटे धागे का डोरा लें। रस्सी के सिरे पर इस डोरे के एक सिरे का फन्दा (लूप)बनाकर रखें। अब शेष डोरे को रस्सी के चारों ओर कसकर पास-पास लपेटते हुए रस्सी के सिरे की तरफ ले जायें। जब डोरा रस्सी के सिरे पर लगभग 2 से.मी. तक लिपट जाये तब डोरे के खुले सिरे को डोरे के पहले सिरे पर बने फंदे में डाल दें। अब फन्दे वाले सिरे को नीचे से पकड़कर खींच दें। डोरे के दोनों बचे सिरों को काट दें। इस प्रकार रस्सी पूर्ण रूप से सुरक्षित हो जाती है।

जांच-2 हाथ के संकेत, सीटी के संकेत

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जांच-2  (b) हाथ के संकेत  क्र.  संकेत  अभिप्राय   1.  हाथ को मुंह के आगे इधर से उधर हिलाना-  नहीं, जैसे थे   2.   हाथ ऊंचा उठाकर इधर से उधर धीरे-धीरे हिलाना-   फैल जाओ, बिखर जाओ  3.  उपरोक्त में ही हाथ तेजी से हिलाना  समीप आओ, एकत्रित हो जाओ।   4.  हाथ से किसी एक दिशा में अंगुली  से इशारा करना-  उस दिशा में जाओ,  5.  मुट्ठी बंद करके हाथ को तेजी से  कई बार ऊपर-नीचे करना-  भागो, दौड़ कर आओ।   6.  हाथ सिर से ऊपर सीधा उठाना   ठहरो, रूको।   7.   दोनों हाथ कंधे की सीध में दोनों  तरफ फैलाना-  लीडर के सामने टोली वार एकदूसरे के बराबर कतार में खड़े होना  8.  उपरोक्त स्थिति में ही एक हाथ  ऊपर दूसरा नीचे हो-  कदवार, ऊंचे हाथ की तरफ बड़े व नीचे हाथ की तरफ छोटे खड़े हों  9.   दाहिने हाथ को सिर की सीध में  ऊपर की ओर खड़ा करना-  सब ठीक है। सुनाई दे रहा है।   10.  दाहिने हाथ को मोड़कर सिर के  उपर बार-बार उपर-नीचे करना   लीडर के चारों ओर गोल आकार में खड़े हों।  11.  हाथ को मोड़कर सीने के सामने लाना  विसर्जन।  12.  हाथ को मोड़कर कंधे पर रखना  टोलीवार पंक्ति में खड़े हों। SOME MORE-

कोर्ट ऑफ ऑनर (मानसभा)-

कोर्ट ऑफ ऑनर (मानसभा)- इसके सदस्य दल नायक, सहा. दल नायक व टोली नायक होते हैं। इनमें कोई एक सभापति (मान सभा अध्यक्ष) व एक सचिव के रूप में कार्य करता है। सैकिंड को भी सदस्य के रूप में बुलाया जा सकता है। स्काउटर/गाइडर परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हैं। मानसभा के कार्य हैं गतिविधियों की योजना बनाना, कार्यों की अनुमति आन्तरिक, वित्तीय व अनुशासन संबंधी मामले पर विचार करना।

पैट्रोल इन कौंसिल (टोली सभा)--

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पैट्रोल इन कौंसिल (टोली सभा)- पैट्रोल इन कौंसिल (टोली सभा)   में भाग लेना यह टोली की परिषद् होती है। टोली के सभी सदस्य इसके सदस्य होते हैं। टोली नायक इसका सभापति होता है। यह टोली से संबंधित सभी मामलों पर विचार करके निर्णय लेती है।

जाँच 2- अनुशासन

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जाँच 2- अनुशासन (a) अपनी टोली, टोली पताका, निनाद, गीत, पैट्रोल कॉर्नर, क्राई (स्का.)व पैट्रोल काल (स्का )जाने और टोली सभा में भाग ले। टोली (पैट्रोल)- टोली विधि स्काउटिंग का प्राण है। एक टूप/कम्पनी में 12 से 32 तक स्काउट्स/गाइड्स होते हैं । दल को टौलियों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक टोली में एक टोलीनायक व एक सैकेण्ड को मिलाकर 6 से 8 स्काउट/गाइड होते हैं।स्काउट टोली का नाम पशु-पक्षियों के नाम पर तथा गाइड टोली का नाम पुष्पों के नाम पर रखा जाता है। टोली पताका (Flag)- प्रत्येक  टोली  की एक टोली पताका होती है इसे सफेद कपड़ेसे त्रिभुज के आकार में बनाया जाता है। इस पर बीच में लाल रंग से टोली का चिह्न बनाया जाता है। टोली पताका का आधार 20 सेमी. तथा दोनों भुजाएँ 30-30 से.मी. की होती हैं। 20cm 30cm निनाद व गीत-   स्काउट-अपनी टोली के पशु/पक्षी तथा गाइड-पुष्प के अनुरूप निनाद व गीत तैयार करते हैं। वे इसे टोली की मीटिंग व हाइक आदि के अवसर पर गाते हैं। पैट्रोल कॉर्नर-  स्काउट-गाइड गतिविधियों के संचालन, स्काउट- गाइड रिकॉर्ड व शिविर के सामान आदि के लिये निर्धारित कमरे को स्काउट क्लब रूम/गाइड क्लब र

जांच-1 प्राथमिक सहायता किट, परिभाषा व स्वर्णिम नियम

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जांच- 1(e) बटन लगा सके। 1(1) कैनवास । लैदर शूज को साफ व पॉलिम कर सकें। 1(g)एक व्यक्तिगत फर्ट एड किट बनायें व उसकी सामग्री को जाने। प्राथमिक सहायता किट (First Aid Kit) प्राथमिक सहायता देने के लिये कुछ सामग्री की आवश्यकता पड़ती है । इस आवश्यक सामग्री को रखने के लिए बनाए गए बॉक्स को फस्ट एड किट कहते हैं इसमें निम्नलिखित सामग्री होनी चाहिए- गाज, गोल पट्टियां, तिकोनी पट्टियां, खपच्चियां सेफ्टीपिन, कैंची, नया ब्लेड, चिमटी, डिटॉल, बैटाडिन सोफ्रामाइसिन, सूई, थर्मामीटर, अमृतधारा, एस्प्रिन, टुनिकेत बैण्ड-एड, रूई, बरनोल, लाल दवा, मीठा सोडा, नमक चीनी आदि। First Aid 1(h)प्राथमिक सहायता की परिभाषा व स्वर्णिम नियमों को जानें। प्राथमिक सहायता (First Aid) परिभाषा-दुर्घटना के समय डॉक्टरी सहायता मिलने से पूर्व घायल व्यक्ति को दी जाने वाली सहायता को प्राथमिक सहायता कहते हैं प्राथमिक सहायता के स्वर्णिम नियम- 1. अति आवश्यक कार्य पहले करें।  2. सबसे अधिक आवश्यकता वाले रोगी को पहले प्राथमिक सहायता दें।  3. सांस रूकने वाले व्यक्ति को सबसे पहले कृत्रिम श्वास दें। उसके लिए प्रत्येक सैकिण्ड महत्वपूर्ण है।  4. रक्

सूर्य नमस्कार-

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सूर्य नमस्कार- सूर्य नमस्कार युवक-युवतियों के लिये बहुत ही उपयोगी व्यायाम है। यह व्यायाम अनेक आसनों का मिला-जुला रूप है। यदि व्यक्ति बी.पी. के 6 व्यायाम और सूर्य नमस्कार कर ले तो सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है। सम्पूर्ण शरीर को आरोग्य, शक्ति व ऊर्जा प्राप्त होती है। सूर्य नमस्कार को प्रतिदिन 10 से 20 बार यथाशक्ति करना चाहिए। ध्यान रखें- जब सीना नीचे हो तो श्रांस बाहर निकालें और सीना ऊपर उठे तब श्वांस अन्दर लें। सूर्य नमस्कार की स्थितियां- (1.) सूर्य की ओर मुख करके सीधे खड़े हों। दोनों हाथ जोड़कर, अंगूठे सीने से लगा लें और नमस्कार की स्थिति में खड़े हों। दोनों एडी साथ मिलाकर, मन शांत, आंखें बंद व ध्यान दोनों आंखों के बीच में हो। (2.) श्वांस को अन्दर भरते हुए दोनों हाथों को सामने की ओर से ऊपर उठाते हुए कानों से सटाते हुए पीछे की ओर ले जायें। हाथों के साथ शरीर को पीछे की ओर झुकाने का प्रयास करें। नजर आकाश की ओर रहे। पैर स्थिर रखें। (3.) श्वांस को बाहर निकालते हुए हाथों को कानों से सटाते हुए आगे की ओर झुकें, पैर-सीधे, हथेली से जमीन को स्पर्श करने का प्रयास करें, यदि संभव हो तो सिर को घुटन

जाँच(1)-स्वयं की देखभाल

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जाँच(1)-स्वयं की देखभाल (a) घर के प्रति तुम्हारा क्या दायित्व है। इसे ठीक से बताने में सक्षम हों। (b) अपना बिस्तर ठीक कर सकें। (c) व्यक्तिगत स्वच्छता के स्वास्थ्य नियम जानते हों। स्वच्छता- व्यक्तिगत स्वच्छता का जीवन में अत्यंत महत्व है। आप जानते हैं कि हमारे शरीर में अधिकतर बीमारियां स्वच्छता के अभाव, अशुद्ध जल व मानसिक कारणों से होती हैं। मूल बीमारियां बहुत ही कम होती है। हमें व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे नाखून काटना, शरीर को साफ रखना, अच्छी तरह हाथ धोने के बाद खाना खाना, शौच के बाद साबुन से हाथ धोना, नाक, कान में उंगली आदि न देना आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए। पानी को उबालकर या फिल्टर करके अथवा आर.ओ. एक्वागार्ड आदि से शुद्ध करके पीना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए ध्यान देने योग्य बातें:- 1. रात्रि में जल्दी सोयें और प्रातः काल जल्दी उठें। 2. प्रतिदिन प्रातः बी.पी. के छ: व्यायाम करें। 3. खाना खाने से पहले व शौच के बाद हाथों को साबुन से धोयें। 4. पेय जल का 72 घण्टे से अधिक संग्रह न करें। 5. नशीले पदार्थों जैसे शराब, बीड़ी, सिगरेट, पान, सुपारी, गुटका, तम्बाकु, ड्रग आदि का सेवन न करें। 6. नाखून व श

उच्च मानसिकता के चार सूत्र

 उच्च मानसिकता के चार सूत्र-  व्यवहार की धर्मधारणा और सेवा साधना उपरोक्त पंचशीलों को जीवन में उतारने से बन पड़ती है। इसके अतिरिक्त दूसरा क्षेत्र मानसिकता का रह जाता है, उसमें चरित्र और भावनात्मक विशेषताओं का समावेश किया जा सके तो समझना चाहिए कि लोक परलोक दोनों को समुन्नत स्तर का बना लिया गया।  चार वेद, चार धर्म, चार दिव्य वरदान जिन्हें कहा जा सकता है, उन चार मानसिक विशेषताओं को- (1) समझदारी (2) ईमानदारी (3) जिम्मेदारी (4) बहादूरी के नाम से समझा जा सकता है।  1. समझदारी-  समझदारी का अर्थ है- तात्कालिक आकर्षण पर संयम बरतना, अंकुश लगाना और दूरगामी प्रतिक्रियाओं का स्वरुप समझना तथा तद्नुरुप निर्णय करना। समझदारी यदि साथ देने लगे तो इन्द्रिय संयम, समय संयम, अर्थ संयम तथा विचार संयम अपनाते हुए उन छिद्रों को बंद किया जा सकता है, जो जीवन संपदा को अस्त- व्यस्त करके खो देते हैं। समझदारी का ही दूसरा नाम है- विवेकशीलता।  2. ईमानदारी-  बेईमान वे हैं जिन्होंने अपना विश्वास गंवाया और जिनकी मित्रता मिलती रह सकती थी उन्हें विरोधी बनाया। बेईमान व्यक्ति भी ईमानदारी नौकर रखना चाहता है। इससे प्रकट है कि

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