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जाँच -1 (i)/a (ii ) स्काउटिंग/गाइडिंग की उत्पत्ति की संक्षिप्त जानकारी के साथ भारत स्काउट और गाइड्स की परिभाषा, उद्देश्य, सिद्धान्त और विधि की जानकारी रखते हों।

*स्काउटिंग/गाइडिंग का इतिहास*


स्काउट शब्द का अर्थ है गुप्तचर या अग्रगामी ।सेना में एक ऐसी कड़ी काम करती है जो फौज के आगे-आगे चलकर अपनी सेना का मार्गदर्शन करती है।
तथा शत्रु सेना क गुप्त भेदों की जानकारी प्राप्त कर अपने अधिकारियों को देती है। उन्हें ही वहां स्काउट कहते हैं।
सार्वजनिक जीवन में स्काउटिंग 'सेवा' का पर्याय बन
चुकी है। आज यह आंदोलन विश्व स्तर पर समाज सेवी
संस्था के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।
स्काउटिंग के संस्थापक लार्ड बेडन पावल थे।उनका
जन्म 22 फरवरी 1857 को इंग्लैंड में हुआ।वे सन् 1876 में सैनिक परीक्षा में सफल हाकर एक फौजी अफसर (सब लेफ्टिनेंट)बनकर भारत में आए। भारत में उन्होनें स्काउटिंग के अनेक प्रयोग किए और इसके आधार पर ‘एड्स टू स्काउटिंग'" नामक पुस्तक लिखी ।
सन् 1899-1900 में दक्षिण अफ्रीका के बोअर युद्ध
में बोअर जाति के दमन का काम एडवर्ड सिसिल व बेडन पावल को सौंपा गया। अंग्रेजों के पास वहां सेना बहुत कम थी। एडवर्ड सिसिल ने मेफकिंग नगर के कुछ लड़कों को प्राथमिक सहायता ,शत्रु का भेद निकालना,संदेश भेजना,सुरक्षा आदि की ट्रेनिंग देकर विभिन्न कार्यों में लगा दिया और प्रशिक्षित सैनिकों को लड़ने के लिये मोर्चे पर भेज दिया। इस योजना से अंग्रेज विजयी हुए। इस घटना से बेडन पावल बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने सोचा यदि यही प्रशिक्षण शांतिकाल में बालकों को दिया जाये तो हमारे
बालक अधिक जागरूक, साहसी, स्वस्थ व कर्तव्य परायण बन सकते हैं।
           इसी योजना को व्यावहारिक रूप देने के लिये
बेडन पावल ने 20 बालकों को लेकर प्रथम प्रायोगिक
शिविर 29 जुलाई से 9 अगस्त 1907 तक ब्राउन-सी द्वीप ( इंग्लैंड ) में आयोजित किया। इस शिविर के अनुभवों व कैम्प फायर की कहानियों को पहले जनवरी से मार्च 1908 तक छ: पाक्षिक भागों में, फिर 1 मई 1908 को 'स्काउटिंग फॉर बॉयज' के रूप में प्रकाशित किया गया। इसके बाद यह स्काउट आंदोलन विश्व के कोने-कोने में फैलने लगा। भारत में सन 1909 में कैप्टन बेकर ने अंग्रेज बच्चों के लिए बैंगलोर में स्काउट दल खोला। इसमें केवल अंग्रेज व एंग्लोइण्डियन बच्चे ही भाग ले सकते थे। 1915-16 में श्रीमती एनीबेसेन्ट एवं डॉ. अरूणडे के प्रयासों से मद्रास में इंडियन बॉयज स्काउटएसोसिएशन की स्थापना हुई।
               भारतीय बच्चों के लिए भारत में सर्वप्रथम 1913 में श्री राम बाजपेयी ने शाहजहाँपुर (उ.प्र.) में एक स्काउट दल खोला। सन् 1918 में पं. मदन मोहन मालवीय के सुझाव व सहयोग से श्रीराम बाजपेयी व डॉ. हृदयनाथ कुंज ने प्रयाग,इलाहाबाद) में ‘सेवा समिति ब्वाय स्काउट एसोसिएशन' की स्थापना की।
भारत में कई स्काउट व गाइड संगठन अलग -अलग काम करते रहे। आजादी के बाद 7 नवम्बर 1950
को ‘हिन्दुस्तान स्काउट एसोसियेशन' और 'द ब्वाय
स्काउट एसोसियेशन' मिलकर एक हो गये। इस नए
संगठन का नाम ''भारतस्काउट्स एवं गाइड्स' ' रखा
गया। गर्ल गाइड एसोसिएशन इण्डिया अब भी अलग ही काम कर रही थी। 15 अगस्त 1951 को यह संस्था भी भारत स्काउट्स एवं गाइड्स में ही मिल गई। भारत में अब केवल यही संस्था केन्द्रीय व राज्य सरकारों द्वारा
मान्य है।
भारत का स्काउट विभाग अन्तर्राष्ट्रीय स्काउट-संघ (WOSM, जेनेवा (स्विटजरलैण्ड) व गाइड विभाग
विश्व गर्ल गाइड तथा गर्ल्स स्काउट संघ (WAGGGS), लन्दन से सम्बद्ध है। अमेरिका में गाइड को गर्ल स्काउट कहते हैं।
        भारत स्काउट्स एवं गाइड्स का राष्ट्रीय मुख्यालय
16, महात्मा गांधी मार्गइन्द्रप्रस्थ इस्टेट नई दिल्ली में स्थित है। प्रत्येक राज्य की राजधानियों में स्काउट-गाइड के राज्य मुख्यालय बनाये गये हैं।


परिभाषा, उद्देश्य व सिद्धान्त-



(अ) परिभाषा- 

भारत स्काउट्स एवं गाइड्स
नवयुवकों के लिए एक स्वयं सेवी,गैर सरकारी,शैक्षणिक
आन्दोलन है जो किसी मूलजाति और वंश के भेदभाव से मुक्त प्रत्येक व्यक्ति के लिए खुला है। यह 1907 में संस्थापक लार्ड बेडन पावल द्वारा संकल्पित किये गये लक्ष्य,सिद्धान्त तथा पद्धति के अनुरूप है।

(ब ) उद्देश्य -

आन्दोलन का उद्देश्य नवयुवकों के विकास में इस तरह योगदान करना है, जिससे उनको पूर्ण शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक अन्त
शक्तियों की प्राप्ति हो, ताकि वे व्यक्तिगत रूप से,जिम्मेदार नागरिकों के रूप में तथा स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समुदायों के सदस्यों के रूप में उपयोगी सिद्ध हो सकें।

( स)सिद्धान्त -

 स्काउट एवं गाइड आन्दोलन
निम्न सिद्धान्तों पर आधारित है:
ईश्वर के प्रति कर्तव्य
                आध्यात्मिक सिद्धान्तों के प्रति दृढ़ता ईश्वर
के प्रति आस्था,इन्हें अभिव्यक्त करने वाले धर्म के प्रति
वफादारी तथा इनसे उत्पन्न कर्त्तव्यों को स्वीकार करना।
नोट: 'ईश्वर' शब्द के स्थान पर इच्छानुसार 'धर्म' शब्द
का प्रयोग किया जा सकता है।

दूसरों के प्रति कर्त्तव्य:


               स्थानीय राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति, समझ और सहयोग की भावना से समन्वय रखते हुए अपने देश के प्रति वफादारी।
                  अपने साथियों की गरिमा तथा विश्व प्रकृति की अखंडता के प्रति अभिज्ञान तथा सम्मान के साथ समाज के विकास में भागीदारी ।

स्वय के प्रति कर्तव्य :

स्वय के विकास के लिए उत्तरदायित्व । 


समाज के विकास में भागीदारी

स्वयं के प्रति कर्तव्यः
स्वयं के विकास के लिये उत्तरदायित्व ।

स्काउट-गाइड शिक्षण विधि

स्काउट-गाइड शिक्षण पद्धति स्वयं शिक्षा की एक
प्रगतिशील प्रणाली है जिसके द्वारा विश्वविख्यात निम्र विधियों से
शिक्षा प्रदान की जाती है-
Social Workers - 2 - Lord Baden - Powell (1857-1941) — Steemit
BP
1. खेल विधि 2. टोली विधि 3. प्रतिज्ञा व नियम पालन
4. शिविर जीवन 5. स्वस्थ प्रतिस्पर्धा 6. अभिनय 7. प्रदर्शन
৪. निरीक्षण 9. प्रयोग 10. वार्तालाप 11. व्याख्यान व कहानियां
12. पुस्तक अध्ययन 13. सामुदायिक सेवा 14. बैज प्रणाली
15. भ्रमण (यात्रा) 16. प्रकृति अध्ययन 17.स्वयं करके सीखना आदि।

स्काउट-गाइड बैज प्रणाली
बैज प्रणाली के द्वारा बालक/बालिका की सहज
आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है । इसीलिये
बेडन पावल ने स्काउटिंग में इसे मान्यता प्रदान की है।
दक्षता बैज प्राप्त करना स्काउट-गाइड के आगे बढ़ने
को प्रदर्शित करता है। जब स्काउट-गाइड अपनी वदी
पर विभिन्न बैज लगाकर चलते हैं तो अपने आप पर
गर्व और अपनी प्रगति पर आनन्द का अनुभव करते हैं।
बैज, स्काउट-गाइड के आगे बढ़ने का प्रमाण है।
जो यह बताता है कि उक्त स्काउट-गाइड ने इस विषय में
दक्षता प्राप्त कर इसे अर्जित किया है । यह उनके सीखने
और समझने को प्रदर्शित करता है और एक स्काउट-
गाइड को अधिक सीखने और आगे बढ़ने के लिये प्रेरित
करता है। स्काउटिंग में बालक-बालिका को प्रारंभ से ही
सुनागरिकता के लिये प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है । प्रशिक्षण
की अन्य पद्धतियों के साथ ही बैज प्रणाली एक सहज एवं
सुगम तरीका है। स्काउट-गाइड, बैज प्राप् करने की चाह में
संबंधित बैज का पाठ्यक्रम पूरा कर, अपने ज्ञान व कौशल में
वृद्धि करते हैं।
स्काउट-गाइड जिस कला में कमजोर होते हैं
उससे संबंधित बैज को प्राप्त करने हेतु यूनिट लीडर उन्हें
प्रेरित करते हैं ताकि उनका चहुँमुखी विकास हो सके
आगे बढ़ना सैद्धान्तिक रूप से इस बात का प्रमाण है कि
स्काउट-गाइड क्या करने की योग्यता रखते हैं। यह उनका
पुरस्कार नहीं है। उनकी योग्यता को दशाता है ।

बैज दो प्रकार के होते हैं-

1.योग्यता बैज- प्रवेश, प्रथम सोपान, द्वितीय सेोपान,
तृतीय सोपान, राज्य पुरस्कार व राष्ट्रपति अवार्डआदि।

2. दक्षता बैज : ए.पी.आर.ओ. भाग 2 व 3 के
अनुसार इनको पांच समूहों में विभाजित किया गया है । 

स्काउट-गाइड विभाग में बालक-बालिकाओं के चहंमुखी विकास के
आधार पर इनका बटवारा निम्नानुसार किया जाता है ।

1. चरित्र निर्माण संबंधी - गार्डनर, कैम्पर
फ्रैंड टू एनीमल्स, स्कॉलर आदि।
2. स्वास्थ्य से संबंधित- एम्बुलैंस मैन/एम्बुलैंस,
हैल्थ, पब्लिक हैल्थ, एथलेटिक्स, साइकिलिस्ट, स्वीमर आदि ।
3. कला कौशल से संबंधित- बास्केट वर्कर,
आर्टिस्ट, कारपेन्टर, बुक बाइंडर आदि।
4. समाज सेवा से संबंधित- सिविल डिफैंस,
फोरेस्टर, आपदा प्रबंधक, पथ-प्रदर्शक, कम्यूनिटी वर्कर आदि ।
5. संरक्षण व तकनीकः विश्व संरक्षण, विश्व
मैत्री, भूसंरक्षण, इलैक्ट्रोनिक्स व कम्प्यूटर अवेयरनेस आदि
बालक-बालिका की सहज प्रवृत्ति होती है कि
वह अधिक से अधिक बैज अपनी वर्दी पर लगावे। इसके
लिये आवश्यक है कि योग्य प्रशिक्षक का उन्हें मार्गदर्शन मिले
एवं तैयारी के बाद उसकी जांच समय पर ले ली जावे। दक्षता
बजों का विस्तृत पाठ्यक्रम स्काउट्स के लिये ए.पी.आर. ओ.
भाग-2 व गाइड्स के लिये भाग-3 में दिया गया है। ये बैज
स्थानीय एसोसिएशन द्वारा नियुक्त स्वतंत्र परीक्षकों को परीक्षा
देकर प्राप्त किए जा सकते हैं।
जांच- 1 = गा.आकांक्षी स्काउट/गाइड, आंदोलन
की पूरी जानकारी रखते हों।
स्काउट/गाइड बैज

बैज या प्रतीक का कोई गुण अर्थ आवश्यक होता है जैसे कनाडा के स्काउट-के तीन शीर्ष-नियम, प्रतिज्ञा, सिद्धान्त साथ ही साथ ईश्वर के प्रति कर्तव्य, दूसरों के प्रति कर्तव्य तथा स्वंय के प्रति कर्तव्य के द्योतक है।
प्रतीक या बैज का प्रचलन अनाधिकार से होता रहा हैै। बैज से पदोें की 
जानकारी होती है, फौज तथा पुलिस में बैजों से यह कहा जा सकता है कि अमुक व्यक्ति किसी पद का है। स्काउट/गाइड तथा स्काउटर्स/गाइडर्स और अन्य अधिकारियों की पद/स्तर की पहचान उनके द्वारा धारण किये पदकों/बैजों से कि जा सकती है।

स्काउटिंग के प्रारम्भिक वर्षों में बी. पी. ने जब स्काउट बैज को तैयार किया तो लोगों में उसके बारे में भ्रान्तियाँ और प्रतिक्रियाँ हुई। उन्होंनंे इस बैज को भले ही नोक जैसा तथा युद्ध और खून खराबे वाला कहकर आलोचना कि। बी. पी. ने इसके प्रत्युत्त्र में कहा- नहीं-यह लिली का फूल है जो शान्ति और पवित्रता का प्रतीक है। इसकी मध्य की पंखु़ड़ी की सीधी रेखा उत्तर दिशा को प्रदर्शित करती है इसका अर्थ है- ठीक दिशा में चलना और ऊँचा उठना।
कपड़े का विश्व स्काउट बैज जामुनी रंग की पृष्ठ भूमि में एक गोलाकारसफेद डोरी से घिरा सफेद त्रिदल का होता है। डोरी के छोर पर चपटी गाँठ लगी होती है। वह 3ः2 के अनुपात का होता है। इसकी तीन पंखु़िड़या प्रतिज्ञा की तीन बिन्दुओं-ईश्वर और देश के प्रति कर्तव्य-पालन, दूसरों की सहायता तथा स्काउट नियम का परिपालन की परिचायक है। मध्य-पंखुड़ी पर बनी कम्पास की सूई की तरह की रेखा जीवन क्षेत्र. में सही दिशा अपनाकर उन्न्ति करते रहने की परिचायक है। नियम और प्रतिज्ञा रूपी मार्गदर्शक दो सितारे अपनी दोनों आँखें खुली रखते हुये सच्चाई और ज्ञान की राह पर चलने का संकेत करते है। गोलाकार सफेद डोरी विश्व व्यापी संगठन तथा उसमें लगी चपटी (डाॅक्टरी) गाँठ इस बात का उद्घाटन करती है कि सब भी संगठन फैली-भाई चारे की गाँठ कसती चली जाये। सफेद रंग पवित्रता तथा जामुनी रंग नेत्र का विकास और सेवा का परिचायक है। 
यह कपडे़ अथवा धातु का बनाया जा सकता है स्काउट इसे अपनी दाहिनी जेब पर सदस्यता बैज की तरह लगाते है। कोई भी दीक्षा प्राप्त स्काउट/स्काउटर अथवा अधिकारी इसे ग्रहण कर सकता ळें

बांयाँ हाथ मिलानाः-

   स्काउट/गाइड एक दूसरे से बायंे हाथ मिलाते है। बी.पी. ने इस विचार को अफ्रिका की ‘अशान्ति’ जाति के सरदार ‘प्रम्पेह’ से ग्रहण किया था। प्रम्पेह पूर्वजों की सन्तुष्टि के लिये नर बलि चढ़या करता था। इसके अतिरिक्त 1874 में उसके पूर्वजों से हुई सन्धि को उसने नहीं माना। अतः उसे वश में करने का कार्य बी.पी. को सौंपा गया। बी.पी. ने अपनी युक्ति, बद्धि, कौशल और साहस से उसे बन्दी बना लिया। जब उसे बी.पी के सम्मुख लाया गया तो उसने अभिवादन कर बायां हाथ मिलाया, इसका रहस्य पूछने पर उसने कहा कि उसकी जाति में सबसे वहादुर योद्धा किसी दूसरे योद्धा से बायां हाथ मिलाया था। जिसका तात्पर्य है उसके पास कोई शस्त्र नहीं है और वह प्रगाढ़ दोस्ती का प्रतीक है यह घटना 1895 में घटी। इस घटना से प्रभावित होकर बी.पी. ने स्काउटिंग में बायां हाथ मिलाने की प्रथा को लागू करना तय किया। बाद में लेडी बी.पी. ने कहा कि बायां हाथ मिलाना ‘गर्म जोशी’ वह ‘सच्ची मित्रता ’ का प्रतीक है। यह हृदय के निकट होने से हृदय, से अभिनन्दन को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार बायां हाथ मिलाना भाईचारा विश्वास और प्रगाढ़ दोस्ती को दर्शाता है। 

रस्सी की जानकारी
  रस्सी स्काउट/गाइड का एक अच्छा मित्र है। अतः उसकी सम्पूर्ण जानकारी होनी उनके लिये अत्यावश्यक है। रस्सी-सूत, जूट, नारियल, नाॅयलाॅन, तार, टेरिलीन, सन आदि की बनती है। किन्तु सन की रस्सी मजबूत ब कोमल होती है।
  रस्सी को फीट या कदम में नापा जाता है रस्सी परिधि से उसकी मोटाई आकि जाती है अर्था्त 3‘‘ मोटी रस्सी वह कहलाती है। जिसकी परिधि 3‘‘ और व्यास 1‘‘ हो। 1‘‘ से कम की परिधि की रस्सी को लड़ कहा जाता है। 3‘‘ की रस्सी की मजबूती होगी 18 सीडब्लूटीएस।
साधारणतया रस्सी तीन प्रकार की होती है 
1. दुलड़ी रस्सी
2. तिलड़ी रस्सी
3. चैलड़ी रस्सी
प्रत्येक स्काउट/गाइड अपने पास तीन मीटर की रस्सी रखता है जिसे जीवन रक्षक डोरी कहा जाता है। इससे वह विविध कार्य लेते है।

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