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तारा मण्डलों द्वारा उत्तर दिशा ज्ञात करना-

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जांच 4 ( b )  रात्रि में कम से कम दो तारामण्डलों की सहायता से उत्तर दिशा जान सकें ।  तारा मण्डलों द्वारा उत्तर दिशा ज्ञात करना   रात्रि के समय आसमान के साफ रहने पर दिशाओं का ज्ञान तारों द्वारा भी सरलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है । ध्रुव तारा सदैव उत्तर दिशा में रहता है । अनेक तारा मण्डलों की सहायता से इसे पहचाना जा सकता है । इस प्रकार उत्तर दिशा का ज्ञान हो जाने पर हम अन्य दिशाओं को जान सकते हैं । इन तारा मण्डलों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है :  1.सप्तर्षि मण्डल ( Great Bear )  इस मण्डल में सात तारे होते हैं । प्रथम चार तारे एक आयत बनाते हैं और शेष तीन तारे एक कोण बनाते हैं । इनमें संख्या 1 तथा 2 की सीध में ध्रुव तारा दिखायी देता है । ध्रुव तारा सदैव उत्तर दिशा में रहता है ।  सप्तर्षि तारामंडल पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमीस्फ़ेयर) के आकाश में रात्रि में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसे फाल्गुन-चैत महीने से श्रावण-भाद्र महीने तक आकाश में सात तारों के समूह के रूप में देखा जा सकता है। इसमें चार तारे चौकोर तथा तीन तिरछी रेखा में रहते हैं। इन तारों को काल्पनिक रेखाओं से मिलाने पर एक

जांच -4 कम्पास व मानचित्र

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जांच -4 कम्पास व मानचित्र   ( a ) कम्पास के 16 बिन्दुओं को जाने ।  कम्पास ( दिशा सूचक यंत्र )  साधारणत : दिशाएं चार मानी जाती हैं- पूर्व , पश्चिम , उत्तर तथा दक्षिण । परंतु किसी स्थान की ठीक - ठीक स्थिति समझने के लिये इन दिशाओं को विभाजित कर 16 दिशाओं का अध्ययन , कम्पास द्वारा किया जाता है ।  कम्पास डिब्बीनुमा यंत्र होता है , जिस पर दिशाएं व अंश अंकित होते हैं , बीच में धूरी पर एक तीरनुमा चुम्बकीय सुई होती है ।  कम्पास को सैट करना   किसी कॉपी / किताब पर कम्पास को रखकर कापी को दाएं - बाएं इस प्रकार घुमाते हैं कि कम्पास में लिखा उत्तर ( 0 °  ) व तीर की लाल नोक एक सीध में या ऊपर नीचे आ जाएं । फिर कम्पास में पढ़कर अन्य दिशाएं ज्ञात कर सकते हैं । 

गैस रिसाव में सावधानियां-

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गैस रिसाव में सावधानियां  1.गैस की गंध आते ही गैस बर्नर की नॉब व रेग्यूलेटर को तुरंत बंद कर दें ।  2 . रसोई घर व आसपास की मोमबत्ती या आग तुरंत बुझा दें ।  3 . सभी खिड़की - दरवाजे तुरन्त खोल दें  4. बिजली के स्विचों को न ऑफ करेंऔर न ऑन करें । इससे आग लग सकती है ।   5. गैस लीक होने की सूचना तुरंत अपनी गैस एजेन्सी को दें । गैस एजेन्सी का टेलीफोन नम्बर आपकी गैस पास बुक    में लिखा होगा । 6. गैस सिलेंडर को चूल्हे से हटाकर उस पर ढक्कन लगाकर खुले में रख दें । 7. अपने रसोई घर में अग्नि शमन यंत्र अवश्य लगवायें ।  8. गैस सिलेण्डर में यदि आग लग गई हो तो उसके ऊपर दूर से पानी की धार डालकर उसके तापमान को कम बनाये रखने का प्रयास करें । यह सिलेण्डर 200 डिग्री तापमान होने पर ही फटेगा , पहले नहीं । फायर ब्रिगेड को सूचित करें । 

आग-खुले में आग जलाना, भोजन बनाना

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 जांच नं . 2- आग ( Fire )   ( a )  कैम्प में अथवा बाहर प्रयोग में लाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की आग के बारे में जानें ।  ( b ) खुले में अधिकतम दो तिल्लियों द्वारा लकड़ी की आग जला सके ।  स्काउट / गाइड को खुले में आग जलाने का तरीका आना चाहिए । हाइक व शिविर में खाना व नाश्ता पकाने के लिए आग जलाने की आवश्यकता पड़ती है । मितव्ययता की दृष्टि से स्काउट गाइड खुले में भी एक या दो तिल्लियों से ही आग जलाने का अभ्यास करें ।   इसके लिए पहले हवा के रुख को देखें । तेज हवा चल रही हो तो सामने स्वयं आड़ लेकर बैठे या बाल्टी आदि रख लें । पहले मोटी लकड़ियों में सीधे आग न लगायें । थोड़े सूखे पत्ते , कागज , सूखी टहनी या लकड़ी के छिलके एकत्रित करके उनमें आग लगाएं । आग जल जाने पर पहले पतली व बाद में मोटी लकड़ी लगाएं ।  जांच 3- भोजन बनाना ( Cooking )  ( a )   कैरोसीन प्रेशर स्टोव अथवा गैस स्टोव की कार्य प्रणाली व संभाल जानें ।  ( b )   खुले में दो व्यक्तियों के लिए पर्याप्त दो प्रकार का सामान्य भोजन तथा चाय या कॉफी बना सके ।  ( c )   गैस लीक ( रिसाव ) होने की स्थिति में सुरक्षा उपाय जानते हों ।

अष्ठाकार गांठ ( फिगर ऑफ एट नॉट ) :

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4.अष्ठाकार गांठ ( फिगर ऑफ एट नॉट ) :   उपयोग : यह गांठ सादी गांठ के स्थान पर लगाई जाती है । इसका उपयोग रस्सी के सिरे को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है । इससे रस्सी का सिरा मोटा नहीं होता तथा न ही इस गांठ के कारण काम में कोई बाधा आती है ।  विधिः इसमें रस्सी के एक सिरे का नीचे की तरफ लूप बनाकर , सिरे को उसी रस्सी के पीछे से लाकर , ऊपर से लूप   रस्सी का सिरा सुरक्षित रहता है और उसकी लड़ें नहीं खुलती ।  जांच . ( b ) 1 वर्गाकार बन्धन ( Square Lashing )  उपयोग : पुल अथवा मकान बनाते समय मजदूरों के लिए पाड़ या मचान तैयार करने में इस बन्धन का प्रयोग किया जाता है । इसके द्वारा दो लट्ठों या बल्लियों को समकोण पर बांधा जाता है  विधि : जिस लट्टे पर दूसरे लट्ठे का वजन पड़ रहा हो , उस लट्टे पर खूटा फाँस लगाएँ और फिर इस पर दूसरा लट्ठा धन ( + ) की स्थिति में रखें । अब रस्सी को एक ही दिशा में चार बार लट्टे पर कस कर फ्रेपिंग कर दें । इसका अंत भी खूटा फांस से होगा । बन्धन तैयार हो गया ।  1. ( b ) 2 अष्टाकार बन्धन ( Figure of Eight Lash ing )  उपयोग : इसका उपयोग दो या तीन समानांतर रूप में रखी बल्लिय

जांच (1)- पायनियरिंग

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द्वितीयसोपान जांच (1)- पायनियरिंग (a)  1. टिम्बर हिच (लट्ठा फांस) उपयोग : बहुत सी लकड़ियों को बांधकर ले जाने तथा पुल आदि बनाने में इस फांस का प्रयोग किया जाता है विधि : रस्सी के सिरे को लकड़ियों के चारों ओर  घुमाकर लम्बी रस्सी का घेरा लगाते  हुए उसी सिरे वाली रस्सी पर वापस  कई लपेट लगाने से यह फांस तैयार  हो जाती है। यदि गट्ठर को खींचना  हो तो चित्र (ख) के अनुसार क्लिक हिच का प्रयोग करें। (क)                                                       (ख)  क्लिक हिच: 2. रोलिंग हिच (सरकफांस):   उपयोग - यदि  एक रस्सी पर खिंचाव है तो उस खिंचाव को कम करने के  लिये दूसरी रस्सी से बीच में रोलिंग  हिच लगाकर पहली रस्सी के खिंचाव को कम किया जा सकता है। बोरे का मुंह बांधने के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है। किसी प्रोजेक्ट पर बंधी किसी ढीली रस्सी में तनाव देने रस्सी के कमजोर भाग को मजबूती देने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है ।  विधि - खिंचाव वाली रस्सी पर दूसरी रस्सी से खूटा फांस लगाते हैं । खंटा फांस की एक अर्ध फांस लगाकर एक चक्कर और दे दें व दूसरी अर्ध फांस लगा दें ।  3. मार्लिन स्पाइक या लीवर

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