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स्काउट/गाइड प्रगतिशील योजना में अवधि

स्काउट/गाइड प्रगतिशील योजना में अवधि- 1टुपकम्पनी में सम्मिलित - आयु 10 वर्ष पूर्ण व 17 से कम हो 2. प्रवेश (दीक्षा)- प्रवेश पाठ्यक्रम पूर्ण करने पर तीन माह बाद 3. प्रथम सोपान- प्रवेश (दीक्षा) के 6 माह बाद 4. द्वितीय सोपान- प्रथम सोपान के 6 माह बाद 5. तृतीय सोपान- द्वितीय सोपान के 6 माह बाद 6. राज्य पुरस्कार- तृतीय सोपान के 9 माह बाद 7. राष्ट्रपति अवार्ड- राज्य पुरस्कार के 12 माह बाद उदाहरणार्थ- 1. माना यदि जन्म तिथि - 01-07-2006 हो तो 2. टुपकम्पनी में सम्मिलित - 02-07-2016 या बाद में 3. प्रवेश (दीक्षा)- 03-10-2016 या बाद में 4. प्रथम सोपान- 04-04-2017 या बाद में 5. द्वितीय सोपान- 05-10-2017 या बाद में 6. तृतीय सोपान 06-04-2018 या बाद में 7. राज्य पुरस्कार-07-01-2019 या बाद में 8. राष्ट्रपति अवार्ड-08-01-2020 या बाद में

स्काउट गाइड हेतु जरूरी बातें -

ध्यान देने योग्य बातें= 1. किसी भारतीय बालक/बालिका को आयु 10 वर्ष पूर्ण व 17 से कम होने पर रैक्रूट (आकांक्षी या प्रवेशार्थी) के रूप में टुप/ कम्पनी में सम्मिलित किया जा सकता है। प्रवेश पाठ्यक्रम पूर्ण करने पर स्काउट-गाइड के रूप में उसकी दीक्षा तीन माह बाद अर्थात जन्मतिथि के, कम से कम 10 वर्ष 3 माह के बाद होगी। 2. प्रवेश (दीक्षा) के 6 माह बाद प्रथम सोपान कर सकते हैं। 3. प्रथम सोपान के 6 माह बाद द्वितीय सोपान कर सकते हैं।द्वितीय सोपान के 6 माह बाद तृतीय सोपान कर सकते हैं। 5. तृतीय सोपान के 9 माह बाद राज्य पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं। तृतीय सोपान पूर्ण करने के बाद राज्य पुरस्कार प्रशिक्षण शिविर में भाग लेना आवश्यक है तथा निर्धारित दक्षता बैजों पर कार्य करके राज्य पुरस्कार के लिए पंजीकरण कराना होगा। 6. तत्पश्चात स्टेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित राज्य पुरस्कार अभिशंसा (जांच) शिविर में भाग लेना अनिवार्य है। 7. इसी प्रकार राज्य पुरस्कार उत्तीर्ण घोषित होने के बाद,मानसभा की स्वीकृति लेना, राष्ट्रपति स्काउटगाइड अवार्ड प्रशिक्षण शिविर में भाग लेना पाठ्यक्रमानुसार कार्य करना, लॉग बुक बनाना एल

भारत में स्काउटिंग के प्रणेता

भारत में स्काउटिंग के प्रणेता = 1. प. मदन मोहन मालवीय- पं. मदन मोहन मालवीय का जन्म 25  दिसम्बर 1861 को इलाहाबाद में पं. ब्रजनाथ जी के घर पर हुआ। मालवीय जी एक कुशल राजनीतिज्ञ शिक्षाविद व स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता आन्दोलन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। मालवीय जी 1909 से 1918 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।1912 में सैन्ट्रल लेजिस्लेटिव एसेम्बिली के सदस्य रहे। इन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की ।उपनिषद का मंत्र 'सत्यमेव जयते' मालवीय जी के प्रचार-प्रसार के कारण भारत का आदर्श वाक्य बना। मालवीय जी के सम्मान में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया। मालवीय जी को भारत सरकार ने पदम् भूषण व भारत रत्न अवार्ड से सम्मानित किया।1918 म प . मदन मोहन मालवीय जी के सझाव पर ही पं. श्रीराम बाजपेयी व डा. हृदयनाथ कुंजरू ने, इनके सहयोग व संरक्षण में भारतीय बच्चों के लिए इलाहाबाद में सेवा समिति ब्वाय स्काउट एसोसिएशन की स्थापना की। इनके सानिध्य में प्रत्येक कुम्भ मेले में सैकड़ों स्काउट्स सक्रिय सेवाएं प्रदान करते थे। इनकी मृत्यु 12 नवम्बर 1946 को हुई। ।।।।।।।। 2.

सामूदायिक कार्यकर्ता के रुप में

रोवर - रेंजर्स का दायित्व     युवकों में बहुत कुछ करने की सामथ्र्य होती है। उनके लिये असंभव कुछ नहीं होता। उन्हें जिस भी दिशा में नियोजित किया जाये उसमें सफल हो जाते हैं। वर्तमान में युवा शक्ति को सही दिशा नहीं मिल पाने के कारण आंदोलनों- हड़तालों, तोड़- फोड़ जैसे ध्वंस के कार्यों में लगी है। यदि युवा शक्ति रचनात्मक कार्यों में तथा जन- जागरण के कार्यों में जुट जायें तो देश फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है।  शांतिकुंज एवं क्षेत्र की शाखाओं के तथा दे.सं.वि.वि. के छात्र- छात्राओं सहित सैकड़ों युवक- युवतियाँ इस आन्दोलन से जुड़े हैं। युगनिर्माण रोवर्स- रेंजर्स को देश के नव- निर्माण के कार्यों में लगाने हेतु शांतिकुंज से अनेकों रचनात्मक कार्य प्रारंभ किये गये हैं।  (1) ग्राम प्रबंधन एवं आदर्श ग्राम  योजनाः-     वर्षों की गुलामी से हमारा देश बहुत पिछड़ गया था। देश में 80 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है, गांवों का विकास होगा तो देश का विकास होगा। महात्मा गांधी तथा संत विनोबा भावे ने ग्राम विकास पर बहुत जोर दिया था। गांवों में कई प्रकार की समस्याएँ होती है, जिनमें मुख्यतः अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी

सप्त क्रांतियों द्वारा सामाजिक परिवर्तन

  हमारा देश सैकड़ों वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा। जिसके कारण यहाँ गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और पिछड़ापन जैसी कई  समस्याएँ  पनपती रही। आजादी मिलने के बाद भी सरकारें इस दिशा में कोई खास कदम नहीं उठा पाई। राष्ट्र को समर्थ व सशक्त बनाने के लिये युवा पीढ़ी को आगे आना होगा। युग निर्माण योजना के सूत्रधार ने राष्ट्र के समग्र विकास हेतु सात क्रांतियों का सूत्रपात किया।  1.  शिक्षा  क्रांति -  हमारे देश में इतने स्कूल कालेज खुलने के बावजूद आज शिक्षा का प्रतिशत 70ः से अधिक नहीं पहुँचा। लोगों में शिक्षा के प्रति जागरुकता  पैदा करना होगा। इसके लिये सरकारी प्रयासों के समानान्तर नया शिक्षा तंत्र खड़ा करना होगा। प्रत्येक शिक्षित एक अशिक्षित को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले ले। प्रौढ़ पाठशालाएँ चलाई जाये तथा अनौपचारिक शिक्षा केंद्र बनाये जायें।     शिक्षा के साथ संस्कार जोड़े जायें तथा  मूल्यपरक  शिक्षा दी जाए। इसके लिए संस्कार  शालाएँ  तथा भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा बहुत अच्छा माध्यम है। हमारे शक्तिपीठों के माध्यम से यह कार्य सफलतापूर्वक हो रहा है।  2.  स्वावलम्बनः -  आज शिक्षित बेरोजगार बढ़ते जा र

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